Environmental Pollution आज एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या बन चुका है. Pollution Essay In Hindi लेख में हम विद्यार्थियों के लिए लेकर आये हैं पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध. लेकिन ये सिर्फ और सिर्फ Students के लिए ही नहीं है. हर कोई इसे पढ़े और चारों दिशाओं में प्रदूषित होते जा रहे वातावरण के बारे में थोडा सोचे.
भगवान् ने हमें प्रकृति दी थी, जो की एक बेमिसाल तोहफा है. ऐसा वातावरण दिया था जहाँ हर सांस के साथ एक नयी स्फूर्ति शरीर में आती थी. लेकिन हमने यहाँ पहुँचते पहुँचते वातावरण को इतना गन्दा कर दिया है की आने वाले समय में हालात शायद जीने के लायक ही ना रहें. अभी भी विश्व में कई ऐसे शहर हैं जहाँ प्रदूषण के चलते जीना बहुत ही मुश्किल है.
Air Pollution, Water Pollution, Soil Pollution और Noise Pollution, हम हर तरह का प्रदूषण करते आ रहे हैं, जिससे वातावरण पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो चुका है. हमारा मकसद केवल प्रदूषण पर निबंध लिखना ही नहीं है, बल्कि हम सबको आगाह करना चाहते हैं. हम चाहते हैं की बाज़ी हाथ से निकलने से पहले इस और ध्यान दिया जाए.
विज्ञान और तरक्की के नाम पर हम प्रकृति का दोहन करते रहे और वातावरण को पूरी तरह से प्रदूषित कर दिया. हो सकता है विज्ञान अपनी जगह ठीक हो और तरक्की करना भी जरूरी है. पर संतुलन बनाना बहुत ही जरूरी है, किसी एक चीज़ को बेहतर बनाने के लिए हम दूसरी उससे भी ज्यादा मूल्यवान चीज़ को बर्बाद कतई नहीं कर सकते.
वैज्ञानिकों और Researchers के अनुसार हमने पिछले केवल 50 सालों में ही वातावरण को इतना प्रदूषित कर दिया है जितना उससे पहले 1000 सालों में भी नहीं हुआ था. अपनी भौतिक जरूरतों को पूरा करते करते हम प्रकृति को नष्ट करते चले गए. आज Delhi जैसे शहरों में सांस लेना और स्वस्थ रहना किसी चुनौती से कम नहीं है.
सोचिये अगर हालात यही रहे तो अगले 50 साल में क्या होगा? अगर हम इसी गति से आगे बढ़ते रहे और पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करते रहे तो हो सकता है हर व्यक्ति को अपने साथ ऑक्सीजन का सिलिंडर रखना पड़े. क्योंकि इस हिसाब से शुद्ध हवा के बारे में तो बस लोग किताबों में पढेंगे या फिर Internet पर पढ़ने को मिलेगा.
Pollution Essay Hindi लिखने की की जरुरत हमें क्यों पड़ी जानते हैं? क्योंकि कई दिन से हम भी मन से चाह रहे थे की आप सब इस और समय रहते ध्यान दें और वातावरण के सुधार में अपना थोडा बहुत सहयोग जरूर दें. अभी भी वक़्त है संभलने का, नहीं तो दिल्ली बहुत दूर हो जायेगी. सबसे पहले जानिये की प्रदूषण क्या है और ये कितने प्रकार का होता है.
प्रदूषण क्या है – What Is Pollution In Hindi
खुला आसमान, पेड़ पौधे, पहाड़, नदियों में बहता साफ़ पानी और चारों और घूमती शुद्ध हवा, ऐसा था हमारा पर्यावरण जिसे हम वातावरण कहते हैं. इसी वातावरण में जब विषाक्त यानी जहरीले पदार्थ (जैसे गैसें, धुआं और रसायन) फ़ैल जाते हैं तो उसे प्रदूषण कहते हैं. ये ऐसे विषाक्त पदार्थ होते हैं जो हवा और पानी में मिलकर हमें नुकसान पहुंचाते हैं.
ये प्रकृति कई चीज़ों से मिलकर बनी है, जिसमें हवा, पानी और जमीन सबसे जरूरी चीज़ें हैं. सोचने वाली बात यहाँ ये है की हमने इन तीनों ही चीज़ों को बुरी तरह से प्रदूषित कर दिया है. चलिए प्रदूषण पर निबंध शुरू करने से पहले एक बार जानते हैं की प्रदुषण कितने प्रकार का होता है. इन पर अलग अलग थोडा प्रकाश डालने की कोशिश करते हैं.
प्रदुषण की अगर बात की जाए तो ये मुख्यत 4 प्रकार का होता है –
(1) Air Pollution – जब हमारे चारों और घूम रही हवा में विषाक्त पदार्थ उसे प्रदूषित कर देते हैं तो उसे वायु प्रदूषण यानी Air Pollution कहते हैं. सबसे ज्यादा नुकसान हमें इसी प्रदुषण से पहुँच रहा है. इसकी वजह से हमारे फेफड़े खराब हो रहे हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती जा रही है.
(2) Water Pollution – पानी हमारे लिए कितनी जरूरी चीज़ है ये हम सब जानते हैं. उसके बावजूद हम अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे. सबने सुना है की जल ही जीवन है, पर गंभीर कोई नहीं होना चाहता. पानी में जब विषाक्त पदार्थ मिलकर उसे गन्दा और रासायनिक बना देते हैं तो उसे जल प्रदूषण यानी Water Pollution कहते हैं.
(3) Soil Pollution – भूमि प्रदूषण का कारण जमीनी मिटटी में इंसान द्वारा किये जाने वाले रासायनिक खाद के प्रयोग और उसमें दबा पड़ा हमारा Plastic और Chemicals वगैरह का कचरा होता है.
सालों से हम जो विषैला कचरा फैलाते आ रहे हैं वो जमीन के नीचे ही दबा पड़ा है और भूमि को बंजर बनाने के साथ साथ उगने वाली फसल को जहरीला बना रहा है.
(4) Noise Pollution – हर जगह किसी न किसी कारण से शोर शराबा होता ही रहता है जिसकी वजह से ध्वनी प्रदुषण होता है. कुछ लोगों को लगता है की इस प्रकार के प्रदूषण से हमें क्या नुकसान होता होगा? लेकिन ये वास्तव में हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है.
Essay Of Pollution In Hindi – प्रदूषण पर निबंध
जैसा की हमने आपको ऊपर बताया हम हर तरह के प्रदूषण के शिकार हो चुके हैं. इन सभी तरह के प्रदूषणों ने मिलकर वातावरण को बेहद ही नाज़ुक अवस्था में पहुंचा दिया है, जिसका खामियाजा हमें जरूर भुगतना पड़ेगा.
हकीक़त ये हैं की अगर हम आज से ही वातावरण को शुद्ध बनाने की कोशिश करें तो भी हमें 1000 साल पहले वाला जैसा पर्यावरण बनाने में 100 साल से भी ज्यादा समय लगेगा. लेकिन हम तो कोशिश ही नहीं कर रहे हैं, तो फिर हमारा क्या हाल होगा? क्या कहेंगी आपकी आगे आने वाली पीढियां आपके बारे में.
आने वाले समय में हर सांस के साथ संघर्ष करना पड़ेगा और इंसान के शरीर में इतनी बीमारियाँ हो जायेंगी की उनकी गिनती करना मुश्किल हो जाएगा. वायु प्रदुषण (Air Pollution) सबसे घातक है, इसलिए सबसे पहले इसकी बात करते हैं. पिछले 20 सालों में ये बहुत ही तेजी से बढ़ा है. आप इसे वायु प्रदुषण पर निबंध ही समझें.
आज से कुछ 25 साल पहले जब हम सुबह उठते ही बाहर घूमने के लिए निकलते थे तो एक अलग ही आनंद आता था. खुला आसमान, चारों और फैली हरियाली और ऑक्सीजन से भरपूर शुद्ध हवा इंसान को एक दम तनावमुक्त कर देती थी. आदमी के अन्दर एक अलग सी Energy आ जाती थी, रोम रोम पुलकित हो उठता था.
ऐसा क्यों होता था पता है? वो सब शुद्ध हवा का कारनामा था जिसमें Oxygen की कोई कमी ना थी और उसमें किसी भी प्रकार के विषाक्त पदार्थ मिले हुए नहीं थे. धीरे धीरे वाहनों और कारखानों की संख्या में इजाफा होता चला गया. वाहनों और कारखानों से निकलने वाली असीमित धुआं तब से लेकर आज तक हवा को और ज्यादा प्रदूषित करती आ रही है.
आजकल हर घर में कम से कम 2-2 Vehicle हैं, आदमी थोड़ी सी दूरी तय करने के लिए भी वाहन का इस्तेमाल कर रहा है. कारखाने वाले इस और कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. किन्ही कारणों से जंगल जल रहे हैं और उनसे अवांछित गैसें निकल रही हैं. इन सब ने मिलकर वायु को बहुत ही ज्यादा दूषित कर दिया है.
आप ये ना सोचें की Air Pollution का प्रभाव सिर्फ हम इंसानों पर ही पड़ रहा है. आदमी की इस करतूत का खामियाजा बेचारे निर्दोषों को भी भुगतना पड़ रहा है. क्या पेड़ पौधे और क्या जानवर सब इससे परेशान हैं. अलग अलग तरह की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ उन्हें घेरे खड़ी हैं.
आपको शायद इतना ज्ञान ना हो, लेकिन आपको बतादें की आने वाले समय में हमारे लिए अम्लीय वर्षा का खतरा मंडरा रहा है. हमारे कारण वातावरण में तैर रही अवांछित और जहरीली गैसे आपस में क्रियाएँ करके स्थिति को और ज्यादा खराब करती जा रही हैं.
बादलों में मौजूद पानी में जब नाइट्रोजन ऑक्साइड के साथ साथ सल्फर डाइऑक्साइड भी मिल जाती हैं तो सल्फ्यूरिक एसिड बन जाता है. जब भी बारिश होगी तो ये Salphuric Acid भी पानी में मिलकर जमीन पर गिरता है. जिससे इंसान, जीव जंतु, फसलों और पेड़ – पौधों सभी को नुकसान होता है.
प्रदूषण पर निबंध में अब जानेंगे की Air Pollution के और क्या क्या खतरे हो सकते हैं. वायु प्रदुषण के कारण हर साल तापमान में बढ़ोतरी हो रही है. आप हमारे देश भारत का ही उदाहरण ले लीजिये, यहाँ हर साल तापमान लगभग आधा डिग्री बढ़ जाता है. इसका मतलब ये हुआ की आने वाले 50 सालों में तापमान में 25 डिग्री की बढ़ोतरी हो जायेगी.
इस हिसाब से सन 2070 में गर्मियों में तापमान लगभग 75 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाएगा. ये वाकई बहुत ही डराने वाली स्थिति है. सोचिये क्या इंसान 75 डिग्री तापमान को झेल पायेगा? नहीं न? इसीलिए हम लोगों का ध्यान इस और खींचना चाहते हैं. हो सकता हम तब तक ना रहें, पर हमारे बच्चे तो रहेंगे, उनका क्या हाल होगा?
इस समस्या को Global Warming के नाम से जाना जाता है. अगर तापमान ऐसे ही बढ़ता रहा तो ध्रुवों पर जमा बर्फ पिघलेगी और समुन्द्र उफान पर आ जायेंगे. कई देशों के डूबने की भी संभावना है. वायु प्रदुषण के कारण ही सर्दी की दिनों में जब कोहरा होता है तो उसमें मौजूद विषाक्त पदार्थों और गैसों की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है.
जो अस्थमा के मरीज़ हैं उनका तो सांस जुड़ना भी मुश्किल हो जाता है. भगवान् की करनी और शक्ति देखिये, इस वक़्त पूरी दुनिया में एक ख़ास विषाणु के संक्रमण ने आतंक मचा रखा है. जिस वजह से कई देशों में Lockdown की स्थिति है. आज दिनांक 29/04/2020 को भारत में Lockdown को लगभग 38 दिन का समय हो चुका है.
इन 38 दिनों में दिल्ली के मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार वायु प्रदुषण में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है. इस बीमारी के चलते हमें बस एक यही Plus Point देखने को मिला है. शायद भगवान् भी प्रकृति को Recover होने का मौका देना चाहते हैं. कई देशों में चल रहे इस Lockdown से वायु की शुद्दता में इजाफा जरूर होगा, और हो भी रहा है.
अब बात करते हैं जल प्रदूषण (Water Pollution) की. इंसानियत को अगर जिंदा रहना है तो जल प्रदुषण को रोकना बहुत ही जरूरी है. Researchers के अनुसार पिछले 15 साल में हमारे पीने का पानी 40% तक दूषित हो चुका है. फिर आप नहरों, तालाबों और नदियों की बात तो छोड़ ही दीजिये.
इन्हें तो हमने इतना गन्दा कर दिया है की पानी में रहने वाले जीव ही जिन्दा नहीं रह पा रहे हैं तो फिर इंसान की क्या औकात. अगर हमें जिंदा रहना है और हमारी आने वाली पीढ़ियों को बचाना है तो हमें स्वच्छ और शुद्ध जल के लिए प्रयत्न करने होंगे. हमारे द्वारा पानी में फैलाई जा रही गन्दगी के कारण कई तरह के घातक रसायन पानी में मिल चुके हैं.
ये रसायन किसी को भी बीमार बनाने में सक्षम हैं. पानी कोई ऐसी चीज़ भी नहीं है जिसे हम छोड़ सकते हैं, जीने के लिए पानी पीना अत्यंत ही आवश्यक है, और वो भी दिन में कई बार. आपने सुना ही होगा की हमारे शरीर का 70% भाग पानी ही है, इसलिए पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती.
बढती हुयी जनसँख्या और फक्ट्रियों ने जल प्रदुषण को तेजी से बढाया है. क्या गाँव और क्या शहर हर जगह जल को विषाक्त बनाने का काम किया जा रहा है. गाँवों में लोग जोहड़ों और तालाबों के पास कपडे धोते हैं, पालतू पशुओं को नहलाते हैं और वही आस पास मूत्र विसर्जन और मल त्याग करते हैं.
उन्हें इस बात का जरा भी अहसास नहीं है की जो कुएं आपने जोहड़ों और तालाबों के पास खोद रखे हैं उनमें भी वही दूषित पानी आता है. इन सब चीज़ों पर ध्यान देना होगा, और ये तभी संभव होगा जब कड़े नियम बनायें जाए. लोग नदियों में मनचाहा कचरा फेंक देते हैं, यहाँ तक की कई जगह पर आदमी के शव को भी बहा दिया जाता है.
इससे पानी दूषित नहीं होगा तो और क्या होगा? आजकल हर देश में बार बार परमाणु परिक्षण किये जा रहे हैं जो की और भी ज्यादा घातक हैं. ये परीक्षण ज्यादातर नदियों, समुन्द्रों में ही किये जाते हैं. ऐसा करने से पानी में कई तरह के रसायन और नाभिकीय कण मिल जाते हैं जो पानी को जहरीला बना देते हैं.
यही पानी खेतों में जाता है और फंसलों को जहरीला बनाता है. इससे कई तरह के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है, जैसे पेट के रोग, हैजा, पेचिस और त्वचा सम्बन्धी रोग वगैरह. जल प्रदूषण पर निबंध तो हम लिखते या पढ़ते रहते हैं, पर सिर्फ ऐसा करने से काम नहीं चलेगा. हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी.
समझदार लोगों को जनता को समझाना चाहिए की अगर हम गति से पानी को गन्दा करते रहे तो आने वाले कुछ ही सालों में पीने के लिए साफ़ और शुद्ध पानी कहीं भी नहीं मिल पायेगा. उद्द्योगों के लिए Guidelines जारी करना चाहिए और उनके लिए भी कड़े नियम बनाने चाहिए. कारखाने से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ भी जल प्रदूषण का कारण है.
Soil Pollution यानी भूमि या मृदा प्रदूषण भी धीरे धीरे अपना असर दिखाता आ रहा है. ज्यादा अनाज की पैदावार के चक्कर में लोग प्राकृतिक खाद व उर्वरकों का इस्तेमाल ना करके, रासायनिक खाद और स्प्रे का प्रयोग कर रहे हैं जिससे अनाज में पौषक तत्वों की कमी हो जाती है और जहरीले पदार्थ ज्यादा हो जाते हैं.
आजकल मनुष्य जितनी भी बीमारियों का सामना कर रहा है उनमें से 50% से ज्यादा बीमारीयों का कारण दवाइयों से पकाई गयी फल – सब्जियां और यूरिया और कीटनाशक दवाओं का उपयोग करके उगाई गयी फंसलें ही हैं. इसके अलावा प्लास्टिक के बढ़ते हुए उपयोग ने इस समस्या को और ज्यादा बढ़ा दिया है.
हम जितना भी Plastic का सामान Use करके फेंकते हैं वो सारा जमीन के नीचे ही तो दबता है, और जमीन में मौजूद पौषक तत्वों को खत्म करने का काम करता है. हम सबको समझना होगा की धरती पर मौजूद जीने के लिए सबसे जरूरी संसाधनों में से एक है मृदा यानी भूमि.
सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं की अगर इसी तरह से उपजाऊ भूमि बंजर जमीन में बदलती गयी तो हम खायेंगे क्या? हमारी जनसँख्या वैसे ही दिनों दिन बढती जा रही है, इसलिए अनाज की जरुरत बढती ही जा रही है. मृदा के बंजर होने के कारण अब पेड़ पौधे उगने की संख्या भी कम हो गयी है.
अगर कोई पौधा अपने आप उगता भी है तो बहुत ही कम चांस हैं की वो बड़ा हो होकर पेड़ बन जाए. क्योंकि उसे भूमि ये वो पोषण ही नहीं मिल पाता. मिलते हैं तो सिर्फ जहरीले तत्व जो उसकी वृद्धि पर रोक लगा देते हैं. मृदा प्रदुषण के बारे में विस्तृत जानकारी हम आपको हमारी आने वाली पोस्ट Soil Pollution Essay In Hindi में देंगे.
अब आ जाइये ध्वनी प्रदूषण (Noise Pollution) पर, जो अदृश्य तरीके से हमारी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है और हमें रोगों का घर बना रहा है. इससे मानसिक रोग जैसे तनाव बढ़ना, नींद ना आना , ब्लड प्रेशर और मानसिक कमजोरी होने के चांस ज्यादा होते हैं.
हम सब जानते हैं की ध्वनी प्रदुषण क्यों होता है, हमारे द्वारा किये जा रहे अत्यधिक शोर के कारण Noise Pollution होता है, सड़कों पर दौड़ रही गाड़ियों की आवाज़, जगह जगह तेज आवाज में बज रहे D.J, फक्ट्रियों से निकलता शोर और घरेलू उपकरणों की आवाज़ ये सब मिलकर ध्वनी प्रदुषण को बढ़ावा दे रहे हैं.
क्या आपको पता है की ध्वनी को भी मापा जाता है और 60 DB तक की ध्वनी को सामान्य की श्रेणी में रखा जाता है. लेकिन ये जब इससे ऊपर जाती है तो खतरनाक साबित होती है और इससे Cancer जैसे रोग भी हो सकते हैं. भारत में कई ऐसे शहर हैं जो ध्वनी प्रदूषण के मामले में अपनी हद पार कर चुके हैं.
मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में ध्वनी प्रदूषण का स्तर औसत 85 DB से ऊपर चल रहा है. सोचिये आने वाले सालों में इन शहरों का क्या हाल होने वाला है. ध्वनी प्रदुषण को हम तभी कम कर पायेंगे जब लोग खुद ये जिम्मेदारी उठायें और अनावश्यक शोर शराबे से बचें. सरकार को इस बारे में जागरूकता फ़ैलाने की जरुरत है.
तो दोस्तों इस तरह से हमारा पर्यावरण बहुत ही खराब स्थिति में पहुँच चुका है. आने वाला समय हमारे लिए बहुत ही कष्टदायक होने वाला है. अगर आप इसे कष्टदायक होने से रोकना चाहते हैं तो किसी प्रकार का प्रदूषण ना करें और दूसरों को भी ऐसा करने से रोकें. अगर हम अभी भी नहीं संभले तो भगवान् भी हमें नहीं बचा पायेंगे.
क्योंकि हम जिंदा तभी रह पाएंगे जब वातावरण हमारे अनुकूल होगा. आओ संकल्प लें की जिस तरह से हमने पिछले 50-60 सालों में पर्यावरण को दूषित किया है, उसी तरह अब आगे आने वाले सालों में इसे सुधारने की कोशिश करेंगे.
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