हर कोई जानना चाहता है की आखिर ज़िन्दगी में दुःख क्यों आता है? दुःख के कारण क्या हैं? तो चलिए इस लेख में इस विषय पर आपको थोड़ी जानकारी देते हैं. हम सब अपनी Life में कभी ना कभी जरूर सोचते हैं की हमें दुःख क्यों होता है? हम हमेशा सुखी क्यों नहीं रह सकते.
इस प्रश्न को लेकर हर व्यक्ति का अपना एक अलग नजरिया है. इस लेख में जो हम बताएँगे वो भी हमारा खुद का व्यक्तिगत नजरिया है. अपने जीवनकाल में हम बहुत से ऐसे दुखी लोगों को देखते हैं जो बहुत ही बदहाल होते हैं. हम खुद भी अपनी Life में कई बार दुःख का अनुभव करते हैं.
सच्चाई ये है की ये जीवन सुख और दुःख दोनों का संगम है. पर यहाँ सुख के मकाबले दुःख ज्यादा है, क्योंकि ये कलयुग है. सच तो ये है की इस युग में जिसने भी जन्म लिया वो दुखी रहा, जो अभी जी रहा है वो भी दुखी है और जो आगे जन्म लेगा वो भी दुखी ही होगा.
पर हमें ये जानना है की दुःख क्यों आता है? क्या इसे टाला नहीं जा सकता? जी नहीं, आप दुःख को टाल नहीं सकते, हाँ कम जरूर कर सकते हैं. क्योंकि सिर्फ कलयुग ही नहीं बल्कि दुःख के कारण और भी हैं. अगर गहराई से सोचें तो कई ऐसी बातें हैं जिनके चलते हम स्वयं अपना दुःख बढ़ा लेते हैं.
कई लोगों को पैदा होने के साथ ही दुःख का सामना करना पड़ता है. यकीनन ये ईश्वरीय घटना का परिणाम है. लेकिन बहुत से लोग सब कुछ होते भी बहुत ज्यादा दुःख का सामना करते हैं इसका कारण उनकी स्वयं की कई गलतियाँ भी होती हैं.
हालांकि आप सबने सुना होगा की जब भी हम कोई पाप करते हैं तो हमें उसका फल दुःख के रूप में मिलना भी तय है. किसी को अपने पिछले जन्मों के पापों की सजा मिल रही है तो कोई इसी जन्म में किये गए पापों के कारण दुःख भोग रहा है.
लेकिन क्या जीवन में दुःख आने की यही वजह है? क्या भगवान् ही हमें दुःख देते हैं? नहीं, ये बात सही नहीं है. भगवान् हमें अपने पापों की सजा जरूर देते हैं, पर उन लोगों का क्या जो किसी तरह का पाप भी नहीं करते फिर भी वो दुःख भोग रहे हैं.
ऐसा पता है क्यों होता है? खुद के गलत फैसलों से. भगवान् शायद हमें सुख और दुःख बराबर ही देता है लेकिन हम अपने कर्मों और फैसलों के द्वारा दुःख को काफी ज्यादा बढ़ा लेते हैं. तो दुःख के आने का कारण स्वयं इंसान भी है. ये हमारा मन कहता है.
हमारा मन ये भी कहता है की जब कोई अच्छा इंसान जीवन रुपी रास्ते से भटक जाता है तो भगवान् उसे होश में लाने के लिए दुःख देते ही हैं. ताकि इंसान को लगी ठोकर से वो समझ सके की वो बहुत ही गलत कर रहा है. तो चलिए फिर जानते हैं की हमें जीवन में इतना दुःख क्यों होता है.
दुख के कारण – दुःख क्यों आता है
(1) गलत निर्णय लेने की वजह से – हमारे जीवन सबसे ज्यादा दुःख हमें अपने गलत फैसलों के कारण भोगने पड़ते हैं. Life में कितनी ही बार हम बिना कुछ सोचे समझे ऐसे निर्णय ले लेते हैं जिनके बारे में सोचना बहुत ही जरूरी होता है.
यही गलत निर्णय आगे चलकर हमें गलत साबित करता है और हमें दुःख भोगना पड़ता है. भगवान् श्री कृष्ण ने एक बात कही थी की कदम उठाना तो बहुत ही बड़ी चीज़ है, आप बोलने से पहले भी सोचें. अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपको जीवन में कई बार दुखों का सामना करना पड़ेगा.
(2) पैसे से अत्यधिक प्यार – कलियुग में हर व्यक्ति के हर समय दुखी रहने का सबसे बड़ा कारण पैसा है. व्यक्ति पैसे के चक्कर में अपने माता पिता और सगे सम्बन्धी सबको भूल चुका है. पैसे ने भाई भाई में आपस में दुश्मनी पैदा कर दी है.
ऐसे में भला व्यक्ति दुखी नहीं रहेगा तो क्या सुख भोगेगा. जीवन में सुख अपनों की वजह से आता है, आपसी प्रेम से आता है. लेकिन वही अपने अब पराये हो चुके हैं और एक दुसरे के लिए षड्यंत्र रच रहे हैं. पैसे ने इंसान को अंधा बना दिया है.
आदमी बस हर पल अपने नफे नुकसान की सोचता रहता है. आज के ज़माने में पैसे के लिए इंसान अपने भाई, बहन और बाप तक का खून कर रहे हैं. तो बताइए क्या वो कभी सुखी रह पाएंगे? नहीं ना. पैसा आपको भौतिक सुख दे सकता है लेकिन आंतरिक सुख नहीं.
(3) पाप करने के कारण – किसी पापी को तो ये सोचने की जरुरत ही नहीं की ज़िन्दगी में दुःख क्यों आता है. क्योंकि वो तो उसका असल हकदार है ही. इस बात को कोई भी नहीं नकार सकता है की पाप करने वाले व्यक्ति को अपने पाप की सजा भुगतनी ही पड़ेगी.
उसे बड़े बड़े दुःख देखने ही होंगे, फिर चाहे वो इस जन्म में हों या फिर अगले जन्म में. सबसे बड़े दुःख की बात तो ये है की इस दुनिया में पापी लोगों की तादाद बिजली की रफ़्तार से बढती जा रही है. कभी कभी तो ऐसा लगता है की बस अब इस युग का अंत होने वाला है.
ऐसा महसूस होता है की कभी भी इस धरती से इंसानियत ख़त्म हो सकती है. क्योंकि इंसानों में अब इंसानियत बची ही कहाँ है. यहाँ लगभग हर व्यक्ति किसी ना किसी रूप में पाप कर रहा है. कोई किसी को सता रहा है, कोई किसी को धोखा दे रहा है तो कोई किसी को फंसा रहा है.
(4) जीवन की सच्चाई का पता ना होना – बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें जीवन में इसलिए ज्यादा दुःख भोगना पड़ता है क्योंकि उन्हें जीवन की सच्चाई नहीं पता. वो भी इस भौतिक संसार को ही जीवन समझते हैं और इसी को बेहतर बनाने के लिए प्रयत्न करते रहते हैं.
जबकि हकीक़त ये हैं की ये जीवन हमें भगवान् ने दिया है. तो हमें समझना होगा की किसलिए दिया है? हमें इंसान क्यों बनाया है? ताकि हम अन्य प्राणियों का भला कर सकें. क्योंकि हम ऐसा करने में सक्षम हैं. सिर्फ खाना पीना और सो जाना तो सभी प्राणी करते ही हैं.
(5) औलाद से अत्यधिक प्यार – आज के युग में लोग बस अपनी संतान को किसी प्रकार से दुखी नहीं देखना चाहते. उनकी सुख सुविधा का पूरा ध्यान रख रहे हैं और उन्हें थोडा सा भी संघर्ष नहीं करने देना चाहते. ऐसी ही संतान आगे चलकर दुःख का कारण बनती है.
जैसा की हमने ऊपर वाले Point में बताने की कोशिश की है की जीवन की सच्चाई को समझिये. ठीक है आपने किसी पुत्र या पुत्री को जन्म दिया है. आप उनके प्रति फ़र्ज़ निभाइए, लेकिन इतना प्रेम मत कीजिये की उनका छोटा सा दुःख आपके लिए दुखों का पहाड़ बन जाए.
(6) लोभ लालच की वजह से – आज के दौर में इंसान इतना ज्यादा लालची हो चुका है की वो कभी संतुष्ट ही नहीं होता. और जब तक व्यक्ति संतुष्ट नहीं होता तब तक दुखी ही रहता है. इंसान ये भूल चुका है की उसके साथ कुछ नहीं जाना है, जो कुछ भी है सब यही रहेगा.
लोगों को किसी भी व्यक्ति से अपने रिश्ते खराब करना मंजूर है पर वह लोभ जो नहीं छोड़ना चाहता. गीता में भी ये बताया गया है की लालची व्यक्ति कभी सुखी नहीं रह सकता. अगर आप लालची किस्म के इंसान हैं तो सोचना छोड़ दीजिये आपको इतना कष्ट या दुःख क्यों होता है.
(7) देह से प्रेम – संत महात्माओं का कहना है की हो व्यक्ति अपनी देह से अत्यधिक प्रेम करता है तो ये दुःख का कारण बनता है. ठीक है हमारा शरीर है, इसका ध्यान रखना हमारा फ़र्ज़ भी है और ये जरूरी भी है.
पर कई लोग अपने शरीर से इतना ज्यादा प्रेम करते हैं की हर समय दुखी रहते हैं.कोई शरीर के काले रंग की वजह से परेशान है, कोई Height कम होने की वजह से परेशान है, कोई मोटा होने की वजह से दुखी है तो कोई सुन्दर ना होने की वजह से चिंतित हैं.
इंसान ये बात भूल जाता है की शरीर तो कुछ ही दिनों का मेहमान है, उसके बाद इसे मिट्टी में मिल जाना है. भगवान् ने आपको जैसा बनाया है श्रेष्ठ बनाया है. आत्मा नश्वर है इसलिए अपनी आत्मा को चमकाने का काम कीजिये. आत्मा को पवित्र रखिये.
(8) गुस्से की वजह से – अगर आप सोच रहे हैं की जीवन में दुःख क्यों आता है तो इसका सबसे बड़ा कारण गुस्सा है. जो व्यक्ति अपने गुस्से को Control में नहीं रख सकता वो अपने जीवन में दुखों की लाइन को लम्बी कर लेता है.
गुस्से और सुख का दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है. गुस्सा आपके सोचने समझने की शक्ति को छीन लेता है. आज के युग में ज्यादातर गुस्सैल लोग ही पाए जाते हैं इसलिए दुनिया में दुःख फैला हुआ है. गुस्सैल व्यक्ति खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारकर पीड़ा झेलता है.
(9) किसी अन्य से अत्यधिक प्रेम – हमारे जीवन में कई ऐसे लोग आते हैं जिनसे हम बहुत ही ज्यादा प्रेम करते हैं. ये लोग भी हमारे जीवन में आने वाले दुःख के कारण बनते हैं. जैसा की भगवान् श्री कृष्ण ने बताया था की कलयुग में कोई किसी का नहीं होगा.
लोग सिर्फ अपना स्वार्थ साधने के लिए आपके जीवन में आयेंगे और स्वार्थ पूरा होते ही आपको छोड़कर चले जायेंगे. ज्यादातर लोग इस बात को समझ नहीं पाते और किसी अन्य से बहुत ज्यादा प्रेम कर बैठते हैं. फिर जब एक दिन उन्हें धोखा मिलता है तो जीवन के दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है.
(10) नास्तिक होने के कारण – जो व्यक्ति ऊपर वाले को नहीं मानता और अपने हिसाब से अपनी जिंदगी को चलाने की कोशिश करता है उसे बड़े कष्ट झेलने पड़ते हैं. ये प्रकृति, ये दुनिया, ये प्राणी और ये जीवन सब भगवान् की ही देन है.
आपको हर समय भगवान् का शुक्रगुजार होना चाहिए और उनकी आराधना करनी चाहिए. लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं जो भगवान् को मानते ही नहीं हैं. इसे विज्ञान का युग कह लें या कुछ और पर ईश्वर एक अटल सच्चाई है जिसे कोई नकार नहीं सकता. जो नकारेगा वो दुःख भोगेगा.
(11) पिछले जन्म के कर्म – कुछ लोग इस बात को नहीं मानेंगे की हमारे दुखों का कारण हमारे द्वारा पिछले जन्म में किये गए कर्म भी होते हैं. अगर हमने अपने पिछले जन्म में बहुत ज्यादा बुरे कर्म किये हैं तो उसका खामियाजा हमें अगले जन्मों तक भुगतने को मिल सकता है.
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ये था हमारा लेख जीवन में दुःख क्यों आता है – दुःख के कारण क्या हैं. जिसमें आपने जाना की हमें अपने जीवन में इतने कष्ट और दुःख क्यों भोगने पड़ते हैं. उम्मीद है आपको हमारा ये लेख काफी पसंद आया होगा.
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