राखी का त्यौहार रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) भारत में बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है. इस लेख में आप जानेंगे रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है? इसकी शुरुआत कब हुयी और इसे मनाने के पीछे क्या कारण हैं? साथ ही आपको रक्षा बंधन का इतिहास और महत्व भी बताएँगे ताकि ये जानकारी अधूरी ना रहे.
राखी का त्यौहार भाई और बहन का त्यौहार है. भले ही रक्षा बंधन मनाने के पीछे के कारणों का सभी को अच्छे से ना पता हो, पर जैसे ही पता चलता है की अब अगला त्यौहार रक्षा बंधन आने वाला है तो चेहरे पर अचानक ही एक चमक आ जाती है. खासकर बहनें तो इस पर्व का बेसब्री से इंतज़ार करती हैं.
क्योंकि उन्हें इस त्यौहार पर अपने प्यारे भाई की तरफ से ना सिर्फ आशीर्वाद मिलता है, बल्कि एक प्यारा सा तोहफा भी मिलता है. हालांकि यहाँ ये कहना गलत होगा की बहनें सिर्फ तोहफे के लिए ही इस Festival का इंतज़ार करती हैं. ये त्यौहार उनकी भावनाओं के साथ जुड़ा हुआ होता है.
बहुत सारी बहनें ऐसी भी हैं जिनकी शादी हो चुकी है और काफी समय से अपने भाइयों से दूर रह रही हैं. वो बहुत खुश होती हैं ये सोचकर की कम से कम रक्षा बंधन वाले दिन तो वो अपने भाई से मिलेंगी और कुछ वक़्त उसके साथ बिताएंगी.
अचानक से ही उनके दिमाग में बचपन की वो सारी शरारतें आ जाती हैं जो भाई बहन दोनों ने मिलकर की थी. अपने बचपन के दिनों में भाई के साथ बिताये दिनों को याद करके उन्हें बड़ी ख़ुशी मिलती है. तो रक्षा बंधन का महत्व उनके लिए किसी और त्यौहार भी ज्यादा है.
भाई और बहन के रिश्ते को परिभाषित करना सबके बस की बात नहीं. ये एक ऐसा पवित्र रिश्ता होता है जिसके बारे में लिखा नहीं जा सकता, बस केवल महसूस किया जा सकता है. भारतीय संस्कृति में बहन को इतना सम्मान दिया जाता है, इसका मतलब इस रिश्ते में कुछ तो ख़ास बात होती है.
रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है? इसे मनाने की वजह क्या है? ये तो हम आपको पोस्ट में आगे बताएँगे. पहले अच्छी तरह से ये जान लीजिये की राखी का त्यौहार होता क्या है और इसे किस तरह से मनाया जाता है.
रक्षा बंधन क्या है और इसे कैसे मनाया जाता है
रक्षा बंधन हिन्दुओं का एक बहुत ही ख़ास त्यौहार है जो सावन के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. जैसा की आप इसके नाम से समझ सकते हैं ये 2 शब्दों से मिलकर बना है, रक्षा + बंधन. मतलब एक ऐसा बंधन या सूत्र जो किसी को आपकी सुरक्षा की याद दिलाता रहे.
“रक्षा” का मतलब है सुरक्षा और “बंधन” का मतलब है बाध्य करना. मतलब ये एक ऐसा पर्व है जिस पर बहनें अपने भाई की कलाई पर धागे या राखी के रूप में एक ऐसा बंधन बांधती है जो हमेशा भाई को उसकी रक्षा की याद दिलाता रहे. यही रक्षा बंधन का अर्थ है.
रक्षा बंधन पर सूत्र की जगह बाँधने के लिए राखी का भी प्रयोग किया जाता है. इसीलिए इसे राखी का त्यौहार भी कहते हैं. ये त्यौहार ख़ास तौर से भाई और बहन के लिए मनाया जाता है जिसमें बहन अपने भाई को राखी बांधकर उसकी सफलता, स्वास्थ्य और लम्बी उम्र के लिए भगवान् से प्रार्थना करती हैं.
वहीँ भाई अपनी बहन की आजीवन रक्षा करने का प्रण लेता है. ये एक ऐसा त्यौहार है जो भाई और बहन के रिश्ते को हर साल और ज्यादा मजबूती प्रदान करता जाता है. इस त्यौहार के आने के 15-20 दिन पहले से ही बाज़ार में रौनक छा जाती है.
बहनें अपने भाइयों के लिए अच्छी सी राखियाँ खरीदती हैं. जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है वैसे वैसे राखियाँ भी Stylish होती जा रही हैं जो भाइयों को खूब पसंद भी आ रही हैं. इसके अलावा बहनें अपने भाई का मुहं मीठा करवाने के लिए अच्छी से अच्छी मिठाई खरीदती हैं.
वहीँ भाई भी अपनी बहन को खुश करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते और उनके लिए बढ़िया से बढ़िया तोहफा खरीदने की कोशिश करते हैं. रक्षा बंधन से 1-2 दिन पहले तो इस बात का कोई मतलब ही नहीं रह जाता की रक्षा बंधन क्यों मनाते हैं. क्योंकि बस सब इसके रंग में डूब चुके होते हैं.
इस साल भी अब कुछ ही दिन बाद 11 अगस्त 2022 Thursday को रक्षा बंधन का त्यौहार आने वाला है. सब इसकी तैयारियों में जुटे हुए हैं. चलिए अब आपकी थोड़ी मदद करते हुए बताते हैं की रक्षा बंधन को कैसे मनाना चाहिए. इस दिन क्या करना चाहिए ताकि किसी चीज़ की कमी ना रहने पाए.
इस दिन भाई और बहन दोनों को सुबह जल्दी उठकर अपने Daily के जरूरी कामों को पूरा करके जल्दी से जल्दी नहा लेना चाहिए. याद रहे नहाने के बाद पुराने वाले वस्त्र धारण ना करें. पुराने वस्त्रों में Negetive Energy निहित होती है जो आपका Mood बिगाड़ सकती है. इसलिए दोनों नए वस्त्र धारण करें.
इसके बाद बहनें अपनी मां के साथ मिलकर तरह तरह के पकवान बनाती हैं जिनकी सुगंध हमें एक बड़े त्यौहार का अहसास कराती हैं. खाना बनाने के बाद दोनों को अपने इष्टदेव की पूजा करनी चाहिए.
इसके लिए बहन को पूजा की थाली सजानी चाहिए, जिसमें राखी, चावल, सिन्दूर, हल्दी, रोली, दीपक, मिठाई और कुछ पैसे रखना चाहिए. बहनों को अपने भाई की तरक्की और लम्बी उम्र की प्रार्थना करनी चाहिए.
बहनों को अपने भाई की आयु बढ़ने के लिए “येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: – तेन त्वांमनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल |” मंत्र का उच्चारण करना चाहिए. वहीँ भाइयों को भी अपनी बहन के हमेशा खुश रहने की प्रार्थना करनी चाहिए.
याद रहे की बहन को कभी भी अपने भाई को राखी बांधे बिना खाना नहीं खाना चाहिए. राखी बाँधने का जो भी शुभ महूर्त है उसके अनुसार अपने भाई को अच्छी सी जगह पर बैठाएं. सबसे पहले भाई का टीकाकरण करें, जो की सिन्दूर या हल्दी से कर सकते हैं. अब कुछ चावल के दाने भी टीके पर लगायें.
इसके बाद भाई की आरती उतारकर उसे दायें हाथ में राखी बांधें. इसके बाद उसका मुहं मीठा कराएँ. थाली में जो पैसे रखे थे उन्हें जरुरतमंदों में बाँट देना चाहिए. अब बारी आती है भाई की. मुहं मीठा होने के बाद भाई को अपनी तरफ से बहन को तोहफा देना चाहिए.
अगर आपने कोई तोहफा नहीं ख़रीदा है तो आप उसकी जगह बहन को पैसे भी दे सकते हैं. या फिर पैसे और Gift दोनों भी दे सकते हैं. इसका फैसला आपको अपनी जेब देखकर करना होता है. खैर हर भाई अपनी प्यारी बहन के लिए किसी तरह की कोई कंजूसी नहीं करता और अच्छे से अच्छा तोहफा ही खरीदता है.
इस पूरे मौके को कैमरे में कैद करना ना भूलें. ये आपको पूरे साल इन ख़ास पलों का अहसास करता रहेगा. आप जब भी इस विडियो को देखेंगे आपको असीम ख़ुशी मिलेगी. अब आप सब परिवार के साथ बैठकर बनाये गए पकवानों का आनंद ले सकते हैं. वैसे भी इस दिन भोजन दोपहर 12 बजे के बाद ही करना चाहिए.
उसके बाद शुरू होता है गप्पों का दौर, भाई बहन अपने पुराने दिनों को याद करते हैं और दिन कब ढल जाता है पता ही नहीं चलता. तो राखी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है आप बढ़िया तरीके से समझ गए होंगे. चलिए अब असल मुद्दे पर आते हैं और जानते हैं की रक्षा बंधन क्यों मनाते हैं? रक्षा बंधन मनाने की वजह या कारण क्या हैं?
रक्षा बंधन का इतिहास – रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है
राखी का त्यौहार मनाने के कारण और वजह भी इसके इसके इतिहास में ही छुपे हुए हैं. मतलब आपको दोनों प्रश्नों के जवाब इसी एक जवाब में मिल जायेंगे. चूँकि रक्षा बंधन का इतिहास बहुत ही पुराना है. बताया जाता है की लगभग 6000 साल से इस पर्व को मनाया जाता आ रहा है.
सिन्धु घाटी सभ्यता में भी इसके संकेत मिले हैं, यानी उस समय इसकी उत्पत्ति हो चुकी थी. लेकिन जिस तरह से हम अभी भाई और बहन मिलकर इस पर्व को मनाते हैं, शुरुआत में ऐसा नहीं था. इसकी शुरुआत भाइयों और बहनों ने नहीं की थी. हालांकि तब भी इसे एक दुसरे की रक्षा करने का प्रण लेने के लिए मनाया जाता था.
आपको शायद विश्वास ना हो की रक्षा बंधन की शुरुआत भाई बहन ने नहीं बल्कि पति पत्नी ने की थी. इसके कुछ महत्वपूर्ण साक्ष्य हमें पुरानों में मिलते हैं. बताया गया है की जब असुरों ने देवताओं पर आक्रमण किया तो वो पूरी तरह से देवताओं पर हावी हो गए थे.
ये सब देखकर भगवान् इंद्र की पत्नी बहुत ज्यादा घबरा गयी और उन्होंने अपने पति की रक्षा के लिए तप करना शुरू किया. तब उन्हें वरदान के रूप में एक रक्षासूत्र प्राप्त हुआ था और कहा गया था की ये रक्षा सूत्र वो अपने पति की दायें हाथ की कलाई में बांधे. ये रक्षा सूत्र उन्हें पूरी तरह से सुरक्षित रखेगा.
तब उन्होंने ये रक्षा सूत्र भगवान् इंद्र की कलाई पर बाँधा था. धर्म में विश्वास रखने वाले लोग इसे ही रक्षा बंधन की शुरुआत मानते हैं. लेकिन हम इसे वैसा रक्षा बंधन नहीं मानते जैसा हम मनाते हैं. क्योंकि हम तो इसे एक भाई बहन के पर्व के रूप में मनाते हैं.
तो चलिए रक्षा बंधन मनाने के असली वजह और कारण जानने की कोशिश करते हैं. रक्षा बंधन मनाने के पीछे कई तरह कहानियां प्रचलित हैं. कहा जाता है भाई बहन के इस पावन त्यौहार की असली शुरुआत भी वहीँ से हुयी थी. इन कहानियों को पढ़कर आपको अंदाजा हो जाएगा की रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है.
(1) जब Alexander की पत्नी ने भेजी सम्राट पुरु को राखी – जैसा की हमने बताया रक्षा बंधन का इतिहास काफी पुराना है, तो सबसे पुरानी कथा इसके साथ यही जुडी हुयी है. जब Alaexander अपनी सेना के साथ भारत पर आक्रमण करने आये थे उस समय भारत में सम्राट पुरु का बोलबाला था.
Alexander की सेना को उनके साथ लड़ने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा. जब Alexander की पत्नी को सम्राट पुरु के बारे में अच्छी तरह से पता चला की वो किस तरह से ताकतवर सोच वाले इंसान हैं तो उन्हें Alexander की काफी फ़िक्र हुयी.
उस समय उनकी पत्नी ने सम्राट पुरु के लिए राखी भिजवाई और अपने पति की जान की सुरक्षा की गुहार लगायी. कहा जाता है की सम्राट पुरु ने भी राखी मिलते ही अपने भाई होने का फ़र्ज़ निभाया और Alexander पर हमला नहीं किया.
(2) चित्तोड़ की रानी कर्णावती ने हुमायूँ को भेजी राखी – ये उस समय की बात है जब राजपूतों और मुसलमानों के बीच आपसी टक्कर चल रही थी. गुजरात के सुलतान बहादुर शाह ने चित्तोड़ पर आक्रमण करने की पूरी योजना बना ली थी. रानी कर्णावती विश्वास थी और अपने राज्य की रक्षा करने में असमर्थ थीं.
तब उन्होंने हुमायूँ को राखी भेजी थी और चित्तोड़ की रक्षा की गुहार लगायी थी. हुमायूँ ने भी उनकी इस राखी को स्वीकार किया और अपनी एक बड़ी सेना की टुकड़ी को चित्तोड़ भेजा. जिस कारण बहादुर शाह को पीछे हटना पड़ा.
(3) भगवान् कृष्ण और द्रौपदी का किस्सा – रक्षण बंधन का इतिहास अगर मानें तो बहुत ही ज्यादा पुराना है. जब भगवान् श्री कृष्ण ने राजा शिशुपाल को मारा था तब उनके हाथ में बड़ी चोट आई और उनकी उँगलियों से खून बहने लगा.
तब द्रौपदी ने अपने खुद के वस्त्र को फाड़कर उनके हाथ को बांधा और खून को बहने से रोका. तब से भगवान् श्री कृष्ण ने उन्हें अपनी बहन की तरह मान लिया था. उन्होंने अपने भाई होने का फ़र्ज़ उस समय निभाया जब पांडवों को जुए में कौरवों के हाथों हारना पड़ा और दुस्शाशन ने द्रौपदी के चीरहरण का प्रयास किया था.
(4) शुभ और लाभ की कहानी – भगवान् गणेश के पुत्र शुभ और लाभ को इस बात का मलाल था की उनकी कोई बहन नहीं है. वो इसकी शिकायत बार बार करते थे और अपने लिए बहन लाने की जिद करते थे.
उनकी इसी जिद के कारण भगवान् गणेशा को उनकी बहन के रूप में संतोषी माता को उत्पन्न करना पड़ा जिन्होंने उत्पन्न होते ही शुभ और लाभ को पवित्र धागा बाँधा था. इसे भी रक्षा बंधन की शुरुआत के रूप में देखा जाता है और राखी का त्यौहार मनाने का कारण माना जाता है.
(5) यम और यमुना की कहानी – मृत्यु के देवता यम की बहन का नाम यमुना था. कहा जाता है यम 12 वर्ष तक लगातार अपनी बहन यमुना से मिलने नहीं जा पाए. इस पर यमुना उनसे काफी नाराज़ हुयी और दुखी रहने लगी. तब यम ने खुद उनके पास जाने का फैसला किया.
जब वो उनसे मिले तो यमुना बहुत ही खुश हुयी. यम ने उनसे कहा की बताओ तुम्हे क्या चाहिए. तब यमुना ने कहा था की मुझे कुछ नहीं चाहिए, बस ऐसा कोई वर्ष ना जाए जब आपसे मुलाक़ात ना होने पाए. तब यम ने उनसे हर साल मिलने का आश्वाशन दिया था.
ये थी Raksha Bandhan History और इससे जुडी कुछ प्रचलित कथाएं जो इस बात की और इशारा करती हैं की इस पर्व के साक्ष्य पुरानों में भी मिलते हैं. हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोग इन कहानियों को सिर्फ कहानी नहीं बल्कि सच्चाई मानते हैं. इन्हीं साक्ष्यों को आधार मानकर रक्षा बंधन मनाने की परम्परा शुरू हुयी.
ये पढ़कर उन्हें दिल से अहसास होता है की आखिर राखी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है. भाई और बहन का महत्व क्या है इस बात को समझने के लिए आपको भारत देश में रक्षा बंधन के दिन वाला माहौल जरूर महसूस करना चाहिए. पूरे भारत में बड़े ही हर्षोल्लास से ये पर्व मनाया जाता है.
यह दिन वैसे भी भारत में काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि किसान इस दिन से अपने खेतों में गेहूं की बीजाई करते हैं. कहते हैं यही वो दिन है जिसके बाद समुन्द्र शांत हो जाता है. जिसके कारण मछुआरे भी मछली पकड़ने की शुरुआत इसके दुसरे दिन से करने लगते हैं.
इसके अलावा ब्राहमण इस दिन विधिवत अपना जनेऊ बदलते हैं. तो कहने का मतलब ये हैं की ये त्यौहार भारतीय लोगों के लिए काफी ज्यादा मायने रखता है. इस त्यौहार की लोकप्रियता का आलम ये है की नेपाल के साथ साथ और भी कई देशों में इसे मनाया जाने लगा है. ये भाई बहन के प्यार और रिश्ते का पवित्र त्यौहार है.
आप सबसे प्रार्थना है की इस त्यौहार की चमक को फीकी ना पड़ने दें. आजकल देखा जा रहा है की इस दिन बस लोग Formalties पूरी करने में लगे रहते हैं. जीवन में व्यस्तता तो रहनी ही है. लेकिन भाई बहन के प्यार के सूचक इस त्यौहार को पूरे हर्षोल्लास में मनाएं. आप सब को रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं.
ये भी पढ़ें –
- जन्मदिन के 50 शानदार बधाई सन्देश
- जल संरक्षण पर 50 प्रेरक नारे
- लड़कों के लिए धमाकेदार Attitude Status
- पर्यावरण प्रदूषण पर बेहतरीन निबंध
- वैलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है
ये था हमारा लेख रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है – रक्षा बंधन का इतिहास और महत्व. उम्मीद है रक्षा बंधन क्या है और इसे कैसे मनाते हैं आप अच्छी तरह से समझ चुके होंगे. अगर आपका कोई सवाल है तो नीचे Comment Box में कमेंट जरूर करें.
अगर आप हमारे साथ जुड़ना चाहते हैं तो हमारे Facebook Page को Like करें व् हमें Subscribe जरूर कर लें. और हाँ अगर आपको ये लेख पसंद आया है तो इसे Like और Share करके हमारा उत्साह जरूर बढ़ाएं. धन्यवाद.