हम हिन्दुस्तानी हैं और हिंदी हमारी मातृभाषा है. हम सब हिंदी से बहुत प्यार करते हैं और ये संसार में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली कुछ बड़ी भाषाओँ में से एक है. आज की हमारी पोस्ट Hindi Language In Hindi में आप सब जानेंगे हिंदी का इतिहास और इस भाषा का महत्व.
हिंदी भाषा का इतिहास बहुत ही पुराना है, माना जाता है की ये 1000 सालों से चली आ रही है. इससे पहले संस्कृत का दौर था जो की सभी भाषाओँ में सबसे Perfect मानी जाती थी. आप सब जानते ही होंगे की वेद – पुराण वगैरह सब कुछ संस्कृत में ही लिखे गए हैं. संस्कृत को आर्य या देव भाषा भी कहा जाता है.
Hindi Language History In Hindi
संस्कृत के बाद हिंदी को ही इसका उत्तराधिकारी माना जाता है. वैसे आधुनिक हिंदी के निर्माता भारतेंदु हरिश्चंद्र जी को माना जाता है. पूरा का पूरा Hindi Bhasha Ka Itihas जानने से पहले चलिए आपको बताते हैं की हिंदी भाषा का नाम हिंदी कैसे पड़ा.
दरअसल हमारी प्यारी भाषा का ये नाम सिन्धु नदी के कारण पड़ा. सिन्धु नदी के आस पास के क्षेत्र को पहले सिंध क्षेत्र के नाम से ही जाना जाता था. सिन्धु शब्द ईरानियों के संपर्क में आने के बाद से ही हिंदी शब्द की उत्त्पत्ति हुयी. क्योंकि ईरानी लोग “स” को “ह” बोलते थे, इसीलिए सिन्धु को वो हिन्दू कहते थे.
बस इसी तरह से हमारे देश का नाम हिंदुस्तान और हमारी भाषा का नाम हिंदी पड़ा. हिंदी भाषा को सबसे शिष्ट भाषाओँ में से एक माना जाता है. आप विश्वास नहीं करेंगे की जब हमारे देश में अंग्रेजों का शाशन था तब उनकी सरकार में भी Hindi Language को ही राष्ट्र की ऑफिसियल Language माना गया था.
हिंदी भाषा का महत्व व विकास की जानकारी – हिंदी का इतिहास
हिंदी भाषा का महत्व आप इसी बात से समझ सकते हैं की ये एक ऐसी भाषा है जिसे संसार की लगभग 20% आबादी आसानी से समझ लेती है. भारत के कई मशहूर कवियों ने इसी भाषा में अपनी कई अनमोल रचनात्मक कल्पनाएँ सुनहरे पन्नों पर उतारी हैं. जो आज भी लोगों के दिलों में बसी हैं.
यही नहीं इस भाषा ने स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान भी बहुत ही अहम् भूमिका निभाई है. उस समय पत्रिकारिता और संवाद करने के लिए इस भाषा का ही प्रयोग किया गया था. भारत देश के आज़ाद होने के बाद 14 सितम्बर 1949 इस जान से प्यारी भाषा को राष्ट्र भाषा घोषित कर दिया गया था.
ये दिन हिंदी भाषा के लिए बहुत ही बड़ा दिन था और जिसके बाद हिंदी का मान सम्मान और महत्व पूरी दुनिया में और भी ज्यादा बढ़ गया था. हिंदी का इतिहास जानने वाले लोग अच्छी तरह जानते हैं की पिछले 90 से 100 सालों में हिंदी भाषा ने बहुत ही ज्यादा विकास किया है.
हिंदी को हर आदमी की भाषा कहा जाता है. सिर्फ हम ही इसका प्रयोग नहीं करते बल्कि अब विदेशी लोगों को भी इस भाषा में दिलचस्पी होने लगी है. सभी को ये बात माननी ही पड़ेगी की भविष्य की भाषा हिंदी ही है.
इस बात का अंदाज़ा आप इसी चीज़ से लगा सकते हैं की Google जो की संसार का सबसे बड़ा search engine है वो खुद अब हिंदी को सबसे ज्यादा importance दे रहा है. हिंदी की लोकप्रियता दिनों दिन बढती ही जा रही है और जो रुकने का नाम भी नहीं लेगी.
जैसे आप खुद ही देख लीजिये, पहले इन्टरनेट पर Hindi Language History In Hindi सर्च करने पर कुछ 2 या 3 websites ही आती थी. लेकिन अब अगर आप ढूंढेंगे तो आपको बहुत सारे रिजल्ट्स मिलेंगे, और वो भी हिंदी में. मार्किट में हिंदी का ग्राफ दिनों दिन ऊपर की और जा रहा है.
आप शायद जानते नहीं होने की वर्ल्ड की सबसे बड़ी सॉफ्टवेर कंपनी Microsoft भी अपने प्रोडक्ट्स हिंदी भाषा में तैयार कर रही है. ऐसी बहुत सी और कंपनियां भी है, क्योंकि उन्हें अहसास है इस बात का की हिंदी भाषा का बाज़ार बहुत बड़ा है. ये घटने के बजाय बढ़ता ही जाएगा.
कम से कम एशिया महाद्वीप में तो हिंदी भाषा का वर्चस्व अवश्य ही रहेगा. हमारे देश में 15 अगस्त या 26 जनवरी को किसी भी देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति आयें. हमारे बड़े नेता जैसे P.M वगैरह हमारी मातृभाषा हिंदी में ही अपना भाषण देते हैं. बल्कि अब तो कई जगह विदेशों में भी ऐसा हो जाता है.
हिंदी भाषा के अपभ्रंश के कारण कई क्षेत्रीय और आधुनिक भाषाओँ ने जन्म लिया. हमारे देश के अलग अलग हिस्सों में हिंदी भाषा का अलग अलग रूप प्रयोग में लाया जाता है जिसे क्षेत्रीय भाषा कहते हैं. जिनका उल्लेख हम यहाँ कर रहे हैं.
भाषा का अपभ्रंश – मॉडर्न व नयी भाषाएं
पैशाची – पंजाबी और लह्दा
मगधी – बिहारी, असमिया, उड़िया और बांगला
महाराष्ट्री – मराठी
शौरशैनी – राजस्थानी, गुजराती, पश्चिमी हिंदी और पहाड़ी
पश्चिमी हिंदी – बुन्देल, खड़ी बोली और हरयाणवी
ब्राचड़ – सिन्धी
बिहार – मैथिलि, भोजपुरी और मगधी
इस तरह से हिंदी के कई रूप हमारे देश में प्रयोग किये जाते हैं. हिंदी का इतिहास अब काफी पुराना हो चुका है और ये निरंतर अपने प्रसार पर है. इस भाषा में कठिन से कठिन प्रसंग भी आसानी से समझे जा सकते हैं. इसकी लोकप्रियता का अंदाज़ा आप विश्व में तेजी से बढ़ रही इसकी साख को देखकर लगा ही सकते हैं.
हिंदी भाषा के साथ बहुत छेड़खानी भी की गयी थी, जिससे मध्यकाल में ये भाषा डगमगाने लगी थी. जैसे की जब मुगलों का शाशन था तो इस भाषा में बहुत से अरबी, फ़ारसी और तुर्किश शब्द डाल दिए गए थे. और इन शब्दों की संख्या लगभग 6000 के आस पास थी.
6000 शब्द कम नहीं होते, इन शब्दों ने हमारी हिंदी भाषा का पूरा प्रारूप ही बिगाड़ कर रख दिया था. लेकिन मुगलों का शाशन समाप्त हुआ और धीरे धीरे हिंदी अपने खुद के स्वरूप में लौटने लगी. अब अरबी, फ़ारसी और तुर्किश शब्दों का इस्तेमाल बिलकुल ना के बराबर किया जाता है.
अब हमारी हिंदी केवल हमारी है, और हम इससे बेइन्तहा प्यार करते हैं. हिंदी भाषा के इतिहास की जानकारी देने के बाद हमारी आप सभी से भी प्रार्थना है की जितना ज्यादा हो सके हिंदी का ही प्रयोग करें. हिंदी का प्रसार करने में अपना योगदान जरूर दीजिये.
इसके जैसी भाषा संसार में कोई दूसरी नहीं है. हिंदी के बारे में बस इतना ही कहना चाहेंगे की ये एक ऐसी भाषा है जिसे सुनते ही दिल को सुकून मिलता है. प्यार प्यार शब्दों से लबरेज हिंदी सभी के दिल के बहुत ज्यादा करीब है.
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ये था हिंदी का इतिहास – Hindi Language History In Hindi, जिसमें आपने हिंदी भाषा का महत्व और विकास की जानकारी ली. उम्मीद है आपको हमारी तरफ से दी गयी जानकारी जरूर पसंद आई होगी. पोस्ट को share जरूर करें, ताकि हिंदी को जोर शोर से प्रसार हो और एक दिन हिंदी वर्ल्ड की नंबर 1 भाषा बने.
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